रुद्राभिषेक करने के इतने फायदे। Benefits of performing Rudrabhishek.
रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र अनुष्ठान है। "रुद्र" भगवान शिव का ही एक रूप है, और "अभिषेक" का अर्थ स्नान कराना है।
SAWAN SPECIAL
Namonarayan
7/14/20251 min read


रुद्राभिषेक के विभिन्न प्रकार
रुद्राभिषेक मुख्य रूप से उपयोग किए जाने वाले द्रव्य और पूजा की विस्तारता के आधार पर कई प्रकार का होता है।
1. द्रव्य के आधार पर रुद्राभिषेक:
अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव का अभिषेक विभिन्न द्रव्यों से किया जाता है।
जलाभिषेक:
विधि: शुद्ध जल या गंगाजल से अभिषेक।
लाभ: शांति, पवित्रता, मनोकामना पूर्ति और सभी प्रकार के दुखों व समस्याओं से मुक्ति।
दुग्धाभिषेक:
विधि: गाय के कच्चे दूध से अभिषेक।
लाभ: लंबी आयु, स्वास्थ्य लाभ, संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए फलदायी, और घर में सुख-शांति।
घृताभिषेक (घी से):
विधि: शुद्ध देसी घी से अभिषेक।
लाभ: धन-संपदा में वृद्धि, वंश विस्तार, और शारीरिक कष्टों व रोगों से मुक्ति।
शहदाभिषेक:
विधि: शुद्ध शहद से अभिषेक।
लाभ: पापों का नाश, मधुरता, मिठास, और धन वृद्धि।
दध्याभिषेक (दही से):
विधि: दही से अभिषेक।
लाभ: संतान सुख की प्राप्ति, पशुधन, भवन और वाहन की प्राप्ति।
पंचामृताभिषेक:
विधि: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर (या मिश्री) के मिश्रण से अभिषेक।
लाभ: जीवन में सफलता, समृद्धि, ऐश्वर्य और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति।
गन्ने के रस से अभिषेक (इक्षु रस):
विधि: गन्ने के रस से अभिषेक।
लाभ: धन प्राप्ति, कर्ज से मुक्ति और लक्ष्मी की कृपा।
सरसों के तेल से अभिषेक:
विधि: सरसों के तेल से अभिषेक।
लाभ: शत्रुओं पर विजय और रोगों का नाश।
कुशा जल से अभिषेक:
विधि: कुशा मिले जल से अभिषेक।
लाभ: रोग और दुख से छुटकारा, शांति और समृद्धि।
इत्र मिले जल से अभिषेक:
विधि: सुगंधित इत्र मिले जल से अभिषेक।
लाभ: बीमारी से मुक्ति।
दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक:
विधि: दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक।
लाभ: सद्बुद्धि, शिक्षा में सफलता और बुद्धि का तेज होना।
तिल से अभिषेक:
विधि: काले तिल से अभिषेक।
लाभ: बुरी नजर, तंत्र-मंत्र बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव।
2. अनुष्ठान की विस्तारता के आधार पर रुद्राभिषेक:
रुद्राभिषेक को मंत्रों की संख्या और जाप के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है:
लघुरुद्र (Laghu Rudra):
विधि: इसमें रुद्र सूक्त का जाप और अभिषेक होता है। सामान्यतः, एकादश (11) बार रुद्राष्टाध्यायी के पाठ के साथ अभिषेक किया जाता है।
लाभ: स्वास्थ्य लाभ, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति और सुख-शांति की प्राप्ति। यह सामान्य मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए होता है।
महारुद्र (Maha Rudra):
विधि: यह लघुरुद्र से अधिक विस्तृत होता है, जिसमें रुद्र के मंत्रों का विस्तृत पाठ और अभिषेक होता है। इसमें 121 बार रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है (11 लघुरुद्र के बराबर)।
लाभ: शक्ति, धन, आध्यात्मिक उन्नति, और बड़ी बाधाओं से मुक्ति के लिए। यह बड़े संकटों से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है।
अतिरुद्र (Ati Rudra):
विधि: यह रुद्राभिषेक का सबसे विस्तृत और प्रभावशाली रूप है। इसमें 1331 बार रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है (11 महारुद्र के बराबर)। यह कई पंडितों द्वारा मिलकर किया जाता है।
लाभ: अत्यंत गंभीर समस्याओं, बड़ी बीमारियों, और सबसे कठिन मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसे सबसे प्रभावशाली माना जाता है। यह मोक्ष प्राप्ति और जन्म-जन्मांतर के पापों के नाश में भी सहायक होता है।
रुद्रहोम: रुद्राभिषेक के साथ हवन भी किया जाता है, जिससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
रुद्राभिषेक के सामान्य लाभ:
रुद्राभिषेक किसी भी प्रकार का हो, इसके सामान्य लाभ भी होते हैं जो सभी भक्तों को प्राप्त होते हैं:
पापों का नाश: जन्मों-जन्मों के संचित पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है।
ग्रह दोषों से मुक्ति: कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष, पितृ दोष, शनि की साढ़ेसाती और अन्य ग्रह दोषों के नकारात्मक प्रभावों को शांत करता है।
मानसिक शांति: मन को गहन शांति मिलती है, तनाव, भय और चिंता दूर होती है।
आर्थिक समृद्धि: घर में लक्ष्मी का वास होता है, आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और व्यापार-व्यवसाय में तरक्की मिलती है।
संबंधों में सुधार: पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है, पारिवारिक क्लेश दूर होते हैं।
विवाह बाधा निवारण: विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं।
संतान प्राप्ति: संतानहीन दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
शत्रु विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
रोग मुक्ति: गंभीर बीमारियों और शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: घर और आसपास से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय होता है।
मनोकामना पूर्ति: जो भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से यह अनुष्ठान करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सावन का महीना रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि इस महीने भगवान शिव पृथ्वी पर वास करते हैं और भक्तों की प्रार्थना शीघ्र सुनते हैं। रुद्राभिषेक करते समय "ॐ नमः शिवाय" या "महामृत्युंजय मंत्र" का जाप विशेष फलदायी होता है।
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